पिछले कुछ सालों से ऑनलाइन शॉपिंग का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है और ई-कॉमर्स कंपनियां मार्केट और कस्टमर का एक बड़ा नेटवर्क बनाने में सफल रही हैं। ऑनलाइन शॉपिंग तो वैसे काफी सुविधाजनक है जिसमें आप मार्केट जाने और समय बर्बाद करने की झंझट से बच जाते हैं। एक ऑर्डर पर आपकी पसंद का सामान आपके घर पहुंच जाता है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी है जिसमें धोखाधड़ी की बड़ी गुंजाइश का होना एक है।ऑनलाइन शॉपिंग में धोखाधड़ी के पिछले दिनों कई मामले सामने आए हैं। कुछ दिनों पहले नई दिल्ली के सीनियर सरकारी अधिकारी योगेंद्र गर्ग ने स्नैपडील से नाइक एयर मैक्स शूज के एक जोड़े का ऑर्डर किया जिसकी कीमत 9,445 रुपए थी। जब उनके घर पर जूते डिलिवर किए गए तो वह यह देखकर दंग रह गए कि वे नकली हैं। उन्होंने बताया, 'जूते सूरत से आए हैं। वैट तो उन पर चार्ज किया गया है, लेकिन चालान पर जो टिन नंबर और सीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर हैं उन पर लिखा है 'लागू नहीं होगा'। यह पूरी तरह जालसाजी है और इस पर वेबसाइट अड्रेस का उच्चारण भी गलत लिखा है। इस पर nikebetterworld.com के स्थान पर nikebetterwold.com लिखा हुआ है। और यह सब स्नैपडील ने हमारे अनुरोध के बगैर किया है। उन्होंने वापसी की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

स्नैपडील के एक प्रवक्ता ने बताया, 'स्नैपडील उन विक्रेताओं को पहचानता है जिनकी बिक्री का सही रिकॉर्ड है और नकली प्रॉडक्ट बेचने वाले विक्रेताओं के खिलाफ कंपनी कार्रवाई करती है। किसी प्रकार का उल्लंघन होने पर स्नैपडील पर्याप्त रूप से नोटिफिकेशन देता है और उसके बाद इस प्रकार की हरकतों के खिलाफ स्नैपडील के नियमों एवं पॉलिसियों के अनुसार कार्रवाई करता है। जब उनसे गर्ग के नकली नाइक जूतों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'इस बारे में आपको बाद में बताएंगे।' लेकिन लगभग एक सप्ताह हो गया है, फिर भी उनका अब तक कोई जवाब नहीं आया है।
यह ध्यान देने वाली बात है कि सिर्फ स्नैपडील ही ऐसा ई-टेलर नहीं हो जिसकी वेबसाइट के जरिए जालसाज अपने कारनामों को अंजाम देते हैं। चूंकि अब अधिकतर लोग अच्छी डील्स के लिए छोटे से बड़े सामान की खरीदारी के लिए ऑनलाइन शॉपिंग का सहारा लेते हैं, जालसाजों का दायरा भी उतना ही बड़ा है।
इसी तरह के एक मामले में गुड़गांव की शॉपक्लूज को नकली सामान बेचने के लिए कोर्ट में घसीटा गया है। यह कंपनी खुद को तेजी से उभरती हुई ई-कॉमर्स कंपनी के रूप में पेश करती है। लॉरिल, टॉमी हिलफिगर, स्कलकैंडी और रेबान ने शॉपक्लूज के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में जाली सामान बेचने का मामला दर्ज कराया है। हाई कोर्ट ने इस संबंध में अपने फैसले में इस कंपनी या इसकी किसी भी सहयोगी कंपनी को उपरोक्त ब्रैंड्स के जाली सामान इस्तेमाल करने, बनाने, बेचने, सप्लाई करने या डिस्पले करने से मना कर दिया है।
संपर्क किए जाने पर शॉपक्लूज के प्रवक्ता ने बताया, 'हमारा मानना है कि हमारी जिन ब्रैंड्स से पार्टनरशिप है, हम उनके इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स की जितनी सुरक्षा करते हैं उतना सुरक्षा उनके ऑफलाइन रिटेलर नहीं कर पाते हैं। बहुत से ब्रैंड इस बात को मानते हैं कि हमने मिलकर काफी हद तक इस समस्या का समाधान किया है। जहां तक कई ई-टेलर कंपनियों द्वारा विक्रेताओं की स्क्रीनिंग प्रक्रिया का संबंध है तो लगता है कि यह पूरी तरह सुरक्षित नहीं है।' नाम न छापने की शर्त पर कुछ ब्रैंड्स के जासूसों ने बताया कि ऐमजॉन इंडिया और फ्लिपकार्ट समेत कुछ कंपनियां विक्रेताओं के बैकग्राउंड की सख्त जांच करती है जिस कारण वहां जालसाजी की गुंजाइश बहुत ही कम रहती है। लेकिन, जालसाजी की समस्या से देश के कई बड़े मल्टि ब्रैंड रिटेलर ग्रसित हैं।
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