
नई दिल्ली। भारत को धार्मिक सहिष्णुता की नसीहत देने वाले राष्ट्रपति बराक ओबामा के बयान ने अमेरिका में भी कई लोगों को नाराज कर दिया है। कई अमेरिकी विश्लेषकों का मानना है कि नेशनल प्रेयर ब्रेकफास्ट के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार पर ओबामा का शब्द बाण बेकार चला गया। इन्हीं में से एक हैं चार्ल्स क्रॉथमर। पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित और वाशिंगटन पोस्ट के लिए स्तंभ लिखने वाले क्रॉथमर ने सीरिया और इराक के साथ भारत को धार्मिक सहिष्णुता पर प्रवचन देने के लिए ओबामा को जमकर लताड़ा है।

एक रेडियो कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि ऐसी कौन-सी मुसीबत है कि वे इस मामले में भारत को घसीट रहे हैं? यह पहला मौका है, जब मैं भारत का नाम इस तरह के विवादों में सुन रहा हूं। यह साफ है कि ओबामा भारत का अपमान कर रहे हैं और इसका कारण ये है कि यह एक हिंदू देश है।
ह्यूज हेविट को दिए साक्षात्कार में क्रॉथमर ने कहा कि भारत धरती का दूसरा सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश है। और इस तथ्य को जानने के बावजूद आप उसके पीछे पड़ जाते हैं। आप उसे बताने लगते हैं कि यहां का हर आदमी गलती कर रहा है। क्रॉथमर ने कहा कि दरअसल, वे लोग कोई गलत काम नहीं कर रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार ने ओबामा के भाषण को तुच्छ और अप्रिय करार दिया। उन्होंने कहा कि आप इस तरह की बातें उस वक्त करते हैं, जब आपकी उम्र 12 साल या 17 साल की होती है। आप कोलंबिया के छात्रावास में बैठकर इस तरह की चर्चा करते हैं।
लेकिन, ओबामा इसे दुनिया के सामने इस तरह से रख रहे हैं, जैसे उन्होंने किसी रहस्य का उद्घाटन कर दिया है। वह भी तब जब जॉर्डन के पायलट को आइएस द्वारा जिंदा जलाए जाने से पूरी दुनिया सदमे में है। और नृशंस वीडियो सामने आने के ठीक दो दिन बाद आप पूछने लगते हैं, 'जॉन ऑफ आर्क के बारे में आपका क्या ख्याल है?उन्होंने कहा कि इस तरह की बातें बिना किसी मतलब की हैं।
क्रॉथमर ने आइएस की बर्बरता को कम करके आंकने के लिए भी ओबामा को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने कहा, 'जैसा कि हमने जार्डन के पायलट को जिंदा जलाने की घटना में देखा कि यह एक कोई साधारण घटना नहीं थी। धर्मयुद्धों का सिलसिला आठ सौ साल पहले खत्म हो चुका है। विधर्मियों को दंड देने के लिए अब धार्मिक अदालतों का गठन नहीं किया जाता। जॉन ऑफ आर्क की घटना कल की नहीं है, लेकिन जॉर्डन के पायलट के साथ जो कुछ हुआ वह सिर्फ दो दिन पहले की बात है।
'ओबामा भारत के पीछे पड़ गए हैं, जो कि इस ग्रह पर हमारा सबसे मजबूत, सबसे उल्लेखनीय और लोकतांत्रिक सहयोगी है। इस देश ने सभी धर्मों और भाषाओं को आश्रय दिया है। '
-चार्ल्स क्रॉथमर, वरिष्ठ पत्रकार
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